ग्वालियर

24 सितंबर से सूरज के दक्षिणी गोलार्द्ध में आने से किरणों की तीव्रता उत्तरी गोलार्द्ध में कम होने लगेगी। इस घटना को शंकु यंत्र व नाड़ीवलय यंत्र से देखा जा सकता है। 23 सितंबर को उत्तरी और दक्षिणी किसी गोल भाग पर धूप नहीं दिखाई देगी।

पृथ्वी के परिभ्रमण के कारण 23 सितंबर को सूर्य भूमध्य रेखा पर लम्बवत रहता है। इसे शरद संपात कहा जाता है। सूरज को भूमध्य रेखा पर लम्बवत होने के कारण दिन और रात्रि बराबर यानि 12-12 घंटे के होते हैं। 23 सितंबर 2022, शुक्रवार के बाद भास्कर दक्षिणी गोलार्द्ध व तुला राशि में गोचर करेगा। सूरज के दक्षिणी गोलार्द्ध में आने से उत्तरी गोलार्द्ध में दिन छोटे और रात बड़ी होने लगेंगी। यह क्रम 22 दिसंबर तक जारी रहेगा। इस दिन से भारत और उत्तरी गोलार्द्ध में दिन सबसे छोटा और रात सबसे बड़ी होगी।

सूर्य की किरणों की तीव्रता होगी कम
24 सितंबर से सूरज के दक्षिणी गोलार्द्ध में आने से किरणों की तीव्रता उत्तरी गोलार्द्ध में कम होने लगेगी। जिससे शरद ऋतु आरंभ होगा। शासकीय जीवाली वेधशाला, उज्जैन में इस घटना को शंकु यंत्र व नाड़ीवलय यंत्र से देखा जा सकता है।

उत्तरी गोल भाग में थी धूप
शुक्रवार को शंकु की छाया पूरे दिन सीधी रेखा पर गमन करती हुई नजर आएगी। 23 सितंबर के पहले नाड़ीवलय यंत्र के उत्तरी गोल भाग में 22 मार्च से 22 सितंबर तक धूप थी।

नाड़ीवलय यंत्र से देख सकते हैं घटना
23 सितंबर को उत्तरी और दक्षिणी किसी गोल भाग पर धूप नहीं दिखाई देगी। 24 सितंबर से 20 मार्च 2023 तक नाड़ी वलय यंत्र के दक्षिणी गोल पर धूप रहेगी। उन्होंने कहा, सूरज के गोलार्द्ध परिवर्तन को नाड़ीवलय यंत्र के माध्यम से देखा जा सकता है।

By kgnews

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *