जबलपुर
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति द्वारिकाधीश बंसल की एकलपीठ ने माध्यमिक व प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा के तहत होने वाली नियुक्तियों को इस याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया है। इस अंतरिम आदेश के साथ की स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव, आयुक्त लोक शिक्षण, आयुक्त आदिवासी विभाग व कर्मचारी चयन आयोग के संचालक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। याचिकाकर्ता सतना निवासी प्रदीप कुमार पांडे की ओर से आर्यन उरमलिया ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि माध्यमिक शिक्षक (संस्कृत) पद के लिए भर्ती प्रक्रिया में पात्रता नियमों में अचानक संशोधन कर दिया गया।

पात्रता शर्तों में संशोधन कर दिया
याचिकाकर्ता ने वर्ष 2023 में आयोजित माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में सफलता प्राप्त की थी और सभी आवश्यक योग्यताएं भी पूरी की थीं। लेकिन राज्य सरकार ने वर्ष 2024 में नया परीक्षा संचालन मैनुअल जारी किया, जिसमें माध्यमिक शिक्षक (संस्कृत) पद के लिए पात्रता शर्तों में संशोधन कर दिया गया।

10 हजार पदों पर होना है नियुक्तियां
करीब 10 हजार पदों पर नियुक्तियां होना है। वर्ष 2018 के नियमों के अनुसार, माध्यमिक शिक्षक (संस्कृत) पद के लिए शास्त्री उपाधि (द्वितीय श्रेणी) संस्कृत साहित्य/व्याकरण के साथ अनिवार्य थी। इसी आधार पर याचिकाकर्ता ने 2023 में आयोजित पात्रता परीक्षा में भाग लिया और उसे सफलतापूर्वक उत्तीर्ण किया। वर्ष 2024 में जारी नए पात्रता मानदंड को संशोधित कर दिया, जिससे याचिकाकर्ता अयोग्य हो गया।

इधर जिला शिक्षा अधिकारी कटनी का आदेश निरस्त
हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने जिला शिक्षा अधिकारी कटनी के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ता को गलत श्रेणी में विभाजित कर वेतनमान तय किया था। कोर्ट ने मामला वापस डीईओ को भेजने और उपयुक्त वेतनमान प्रदान करने के निर्देश दिए। इसके लिए 90 दिन की मोहलत दी है।

याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी अनिल कुमार गर्ग की ओर से दलील दी गई कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति वर्ष 1984 में विकासखण्ड मंझौली में समयपाल (टाइम कीपर) के पद पर दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में की गई थी। दलील दी गई कि डीईओ कटनी द्वारा 12 सितंबर 2017 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को अकुशल श्रेणी के वेतनमान पर नियमित किया गया।

By kgnews

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *