रायपुर, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) से जिले के दूरस्थ व दुर्गम क्षेत्रों में भी अब सकारात्मक बदलाव दिखने लगा है। अंदरूनी गांवों में भी ग्रामीणों के पक्के आवास का सपना सच हो रहा है। कांकेर जिले के विकासखंड कोयलीबेड़ा के सुदूरवर्ती ग्राम पंचायतों कंदाड़ी और सितरम में भी सरकार के सहयोग से लोगों के पक्के घर बन रहे हैं।
कोयलीबेड़ा विकासखंड की सीमा में कोटरी नदी में बारिश का पानी आने से कई गांव पूरी तरह से मुख्य धारा से कट जाते हैं। ऐसे में इन गांवों में परिवहन की सुविधा मुहैया नहीं हो पाती। कोयलीबेड़ा विकासखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल 244 हितग्राहियों को आवास स्वीकृत हुआ है। इनमें से 226 हितग्राहियों को प्रथम किस्त की राशि मिल गई है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा समय-समय पर हितग्राहियों का उन्मुखीकरण कर स्वीकृत आवासों के निर्माण प्रारंभ कराए गए हैं। अब तक 43 आवासों में प्लिंथ स्तर तक का कार्य पूर्ण किया जा चुका है, 40 आवासों में खिड़की स्तर तक का कार्य पूर्ण किया जा चुका हैं, 13 आवासों में दीवार व दरवाजा स्तर तक का कार्य पूर्ण किया जा चुका है और सात आवासों में दीवारों का निर्माण पूर्ण कर छत की ढलाई की तैयारी की जा रही है। स्वीकृत आवासों में से नौ मकानों के छत की ढलाई हो चुकी है और दो आवासों में प्लास्टर का कार्य किया जा रहा है। निर्माणाधीन सभी आवासों का निर्माण शीघ्र पूर्ण कर लिया जाएगा।
कोटरी नदी के उस पार के गांवों में बारिश में आवाजाही बिल्कुल बंद हो जाती है। बरसात में आवास निर्माण के कार्यों में कोई रुकावट न आए, इसके लिए हितग्राहियों को प्रेरित व उन्मुखीकरण कर बारिश के चलते रास्ता बंद हो जाने के पहले स्थानीय प्रशासन की सहायता से आवश्यक सभी निर्माण सामग्रियों को एकत्र किया गया है। केवल नींव तक की कार्य पूर्णता वाले 74 आवासों में से 70 के लिए निर्माण सामग्री एकत्र कर ली गई है। दूरस्थ क्षेत्रों में राजमिस्त्रियों की कमी को देखते हुए ऐसे युवा जो राजमिस्त्री का काम सीखना चाहते हैं, उनके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं। राजमिस्त्री के रूप में प्रशिक्षित लोगों को मिलाकर ‘आवास टोली’ बनाई जाएगी जिससे दूरस्थ व दुर्गम गांवों में राजमिस्त्रियों की कमी को दूर करते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना के मकानों को समय-सीमा में तैयार किया जा सके।