राजनांदगांव। कोरोना को हर हाल में हराना है। इस उद्देश्य के साथ जिले में कोरोना संक्रमण की गति पर अंकुश लगाने के लिए नित नए उपाय किए जा रहे हैं। लोगों की सेहत का ध्यान रखते हुए कंटेनमेंट जोन के निर्देशों में सबसे महत्वपूर्ण होम आइसोलेशन में रहने वाले व उनके परिवार के सदस्यों की निगरानी है।कोरोना से लड़ाई के बीच कोरोना वॉरियर्स को सेवाभाव के प्रति कलेक्टर भी लगातार प्रेरित कर रहे हैं। कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा ने विभागीय अधिकारियों की बैठक लेकर कोरोना संक्रमण के प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन करने तथा राज्य की प्राथमिकता वाली योजनाओं का उचित क्रियान्वयन करने के निर्देश दिए हैं, जिसमें पोषण व स्वच्छता भी शामिल हैं। कलेक्टर श्री वर्मा ने कहा शहर में व्यवसायिक गतिविधियां होने से लोगों की आवाजाही बढ़ी है। इस स्थिति में कोरोना के प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन करना जरूरी है। सोशल डिस्टेसिंग का पालन तथा मास्क लगाना अनिवार्य है। इसका पालन नहीं करने वाले पर लगातार कार्रवाई करें। जिन स्थानों को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है, वहां प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। होम आइसोलेशन में रहने वाले और उनके परिवार के सदस्य घर से बाहर नहीं निकले, इस पर कड़ी निगरानी रखी जाए। उन्होंने कहा कोरोना सैम्पल लेने में कमी नहीं आनी चाहिए। जब कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की पहचान होगीए तभी इन मरीजों को आइसोलेशन में रखकर संक्रमण की चेन तोड़ी जा सकती है। सभी अधिकारी अन्य कार्यों के साथ कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लगातार कार्य करें।
अग्रिम पंक्ति की कोरोना वॉरियर्स बनीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं
महिला एवं बाल विकास विभाग, राजनांदगांव की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश भी आंगनबाड़ी कार्यकर्तार्ओं की हौसला अफजाई के लिए इन दिनों खुद फील्ड पर सक्रिय हैं। इसी तरह पेंड्री क्षेत्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नीलम खांडे मास्क लगाकर व सैनेटाइजर लेकर सुबह आठ बजे से फील्ड निकल पड़ती हैं। इस बीच घर-घर जाकर सर्दी-खांसी या बुखार के लक्षणों वाले व्यक्तियों को चिन्हांकित करना और जांच के लिए उन्हें प्रेरित करना नीलम का मुख्य काम है। नीलम विशेष रूप से 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के चिन्हांकन के लिए विशेष सजग रहती हैं। माना जा रहा है कि कोविड-19 का सबसे ज्यादा प्रभाव इसी आयु वर्ग के लोगों में होता है।
ट्रेनिंग देकर सौंपा काम का जिम्मा
नीलम की तरह ही नगरीय निकायों में लगभग 500 कार्यकर्ता हर दिन शहर में संक्रमण के लक्षणों वाले मरीजों की पहचान के लिए निकलते हैं। हर दिन वह 40-50 घरों तक पहुंचते हैं। पिंकी निषाद बताती हैं उनके पास ऑक्सीमीटर भी है, जिससे उन्हें चिन्हांकन में काफी आसानी होती है। ऑक्सीमीटर में आंकड़ा 95 से नीचे आने पर हम तुरंत जानकारी अपने प्रभारी अधिकारी को देते हैं। हम बताते हैं कि यह 95 से नीचे ऑक्सीजन लेवल जाने पर आपको मेडिकल सहायता की आवश्यकता पड़ेगी। हमारे अधिकारी फिर समन्वय कर लेते हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश ने बताया आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इसके लिए पूरी ट्रेनिंग दी गई है जिससे वह संक्रमण के लक्षणों वाले लोगों का चिन्हांकन तो करें ही, उन्हें तुरंत जांच कराने के लिए भी प्रेरित करें।
कई इलाकों में व्यापक अभियान
रेणु प्रकाश बताती हैं कोरोना की जांच कराने के लिए यदि किसी मरीज ने टालमटोल कर दी तो संक्रमण तेजी से फैल सकता है, इसीलिए इस दिशा में गंभीरता के साथ कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया पेंड्री के साथ ही कौरिनभाठा, लखोली, हल्दी वार्ड, नवागांव वार्ड, शंकरपुर, ममता नगर व बसंतपुर जैसी जगहों में व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। हमारा फोकस 50 वर्ष से अधिक और पहले से बीमार चल रहे लोगों पर है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आसपास के इलाके की ही होती हैं, इसलिए क्षेत्र के बारे में अच्छी जानकारी और फीडबैक इनके पास होते हैं। इनके माध्यम से संक्रमित लोगों की पहचान करने में आसानी हो रही है। नीलम की सहायिका सरिता कोर्राम और मितानिन भुनेश्वरी साहू ने बताया लोगों को जागरूक करना भी एक तरह से सेवा का काम है। हमारे द्वारा लोगों को समझाइश देने का भी अच्छा असर दिख रहा है। हमारी समझाइश पर ही कई लोगों ने जांच कराई।