रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य के पेंड्रा-गौरेला-मरवाही जिले के पुलिस कप्तान कार्यालय के बगल के कमरे में तीस से पैंतीस युवा पूरे दिन किताबों में डूबे रहते हैं। पुलिस कर्मचारी उन युवाओं की सेवा में जुटे दिखते हैं। यह व्यवस्था बनाई है एसपी सूरज सिंह परिहार ने। उन्होंने मात्र एक वर्ष पुराने जिले में इसी वर्ष जनवरी महीने में यह अनोखा पुस्तकालय और वाचनालय शुरू किया है, जिसका नाम ‘पुलिस की पाठशाला’ दिया है।
कभी पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के क्षेत्र के रूप में चर्चित रहे आदिवासी बहुल पेंड्रा-गौरेला-मरवाही जिले में एसपी कार्यालय के कर्मचारी भी अधिकारी बनने के चाहवान युवाओं की सेवा में समर्पित हो गए हैं। यहां लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), राज्य सेवा आयोग (पीएससी) सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं की मदद की जाती है। देश-विदेश से मिले सहयोग के बल पर हजारों की संख्या में पुस्तकों का संग्रहण हो चुका है। इससे बुक बैंक संचालित किया जा रहा है। पुलिसकर्मी ही इस लाइब्रेरी का संचालन करते हैं, जिससे प्रदेश के 5,000 युवा जुड़ चुके हैं।
मूल रूप से जौनपुर (उत्तर प्रदेश) के शाहगंज गांव के मूल निवासी सूरज परिहार फरवरी 2020 में स्थापित पेंड्रा-गौरेला-मरवाही जिला के पहले एसपी बने हैं। पांचवी के बाद की पढ़ाई उन्होंने कानपुर के जाजमऊ कस्बे में पिता के पास रहते हुए की। कॉल सेंटर की नौकरी से पेशेवर जीवन की शुरुआत करने के बाद बैंक पीओ और एक्साइज इंस्पेक्टर भी रहे। लक्ष्य कुछ और था, लिहाजा कोशिशें जारी रहीं और वर्ष 2015 में चौथे प्रयास में यूपीएससी में हिंदी में परीक्षा देकर सफलता पाई।
राजधानी रायपुर में प्रशिक्षु आईपीएस के रूप में नियुक्ति के समय से ही परिहार भावी पीढ़ी को प्रोत्साहित कर रहे हैं। कोरोना संकटकाल में हजारों युवाओं को ऑनलाइन मार्गदर्शन दिया। ऑनलाइन कक्षाओं में देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यरत विशेषज्ञ और सूरज के बैचमेट सहित प्रदेश के अन्य आईएएस और आईपीएस भी योगदान करते हैं।
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे पुलिस विभाग में पदस्थ जवान भी लाइब्रेरी में आते हैं। पिछले एक साल से यूपीएससी की तैयारी करने वालों के लिए सिविल सेवकों की टीम के साथ निश्शुल्क वेबिनार आयोजित किए जा रहे हैं। दस हजार से अधिक युवा इसका लाभ उठा चुके हैं।
इस बारे में पेंड्रा-गौरेला-मरवाही जिले के एसपी सूरज सिंह परिहार ने कहा कि एक साल का कार्यकाल पूरा होने पर नवयुवकों को भविष्य संवारने के लिए शहीद शिवनारायन बघेल जी की स्मृति में एक निश्शुल्क पुस्तकालय भेंट कर चुका हूं। पुस्तकालय में व्यावसायिक कोर्सों की प्रवेश परीक्षा से संबंधित पुस्तकों के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की हजारों पुस्तकें हैं। इसमें देश-विदेश के लोगों ने उदारतापूर्वक योगदान किया है।