वन्यजीव अपराधों की गहन जांच एवं अभियोजन की तकनीकी पहलुओं की बताई गई बारिकियां
बलौदाबाजार, वन्यजीव अपराधों की रोकथाम एवं प्रभावी अभियोजन को और सुदृढ़ करने के उद्देश्य से मंगलवार को बलौदाबाजार वनमण्डल कार्यालय में दो दिवसीय वन्यजीव अपराध जांच एवं अभियोजन पर क्षमता विकास प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया । यह कार्यशाला वनमण्डलाधिकारी गणवीर धम्मशील के नेतृत्व में वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो, मध्य क्षेत्र, भोपाल के सहयोग से संपन्न हुआ जिसमें वन्यजीव अपराधों की गहन जांच एवं अभियोजन की व्यवहारिक तकनीक की बारीकियां बताई गई।
उदंती-सीतानदी टाईगर रिजर्व के उप निदेशक वरुण जैन एवं उनकी टीम ने छत्तीसगढ़ में घटित वन्यजीव अपराधों की केस स्टडी प्रस्तुत कर यह स्पष्ट किया कि किस प्रकार समय पर हस्तक्षेप और समन्वित प्रयासों से अपराधों की रोकथाम एवं निराकरण संभव हो पाया वहीं जबलपुर स्थित स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ से डॉ. निधि राजपूत ने अपराध स्थल प्रबंधन और साक्ष्य संरक्षण पर विशेष सत्र लेकर अधिकारियों एवं वनकर्मियों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रशिक्षित किया।इसके साथ ही बारनवापारा वन्यजीव अभ्यारण्य के उप वन संरक्षक क्रिशानू चंद्राकर, वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो भोपाल से डॉ. के.के. शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता यश कुमार सोनी, तथा मध्यप्रदेश पुलिस से अफ़ज़ल खान जैसे विशेषज्ञ उपस्थित रहे और अपने अनुभव साझा किए।
प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों, विभिन्न दंडनीय अपराधों की श्रेणियों तथा अनुसूचित प्राणियों की परिभाषाओं और उनके महत्व पर विस्तार से जानकारी दी गई। इसके साथ ही वन्यजीव अपराधों की जांच प्रक्रिया, अभियोजन की कार्यवाही तथा न्यायालय में प्रस्तुत किए जाने वाले साक्ष्यों की वैधानिकता पर भी चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने व्यावहारिक उदाहरणों और वास्तविक मामलों के जरिए प्रशिक्षण को और अधिक प्रभावशाली बनाया।यह प्रशिक्षण न केवल वन्यजीव अपराधों की गहन समझ को विकसित करने में सहायक सिद्ध होगा बल्कि जांच एवं अभियोजन की व्यावहारिक तकनीकों को आत्मसात करने का अवसर भी प्रदान करेगा।
कार्यशाला में उदंती-सीतानदी टाईगर रिजर्व से आए अधिकारी-कर्मचारी , बलौदाबाजार वनमण्डल के सभी परिक्षेत्रों के अधिकारी-वनकर्मी एवं पुलिस विभाग से कुल 70 प्रतिभागी सक्रिय रूप से शामिल हुए।