CG : आत्मनिर्भरता की ओर कदम बिहान योजना से महिलाओं की सफलता की कहानी…

एकजुटता से तरक्की तीन स्व सहायता जिसमें दंतेश्वरी, सरस्वती एवं जय माँ जगदम्बे समूहों का प्रेरक सफर

दंतेवाड़ा । बस्तर की धरती पर महिलाएं आज अपनी मेहनत, लगन और सही मार्गदर्शन से आत्मनिर्भरता की नई मिसाल गढ़ रही हैं। गौरतलब है कि बिहान योजना से जुड़ी स्व सहायता समूहों की दीदियां सामूहिक प्रयास और आपसी सहयोग से अपनी आजीविका वर्धन कर गांव की अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनी है। इस क्रम में ग्राम गुमडा, कटुलनार और कोरलापाल की तीन स्व सहायता समूहों की यह वृतांत दर्शाता है कि अगर सही दिशा और समर्थन मिले तो महिलाएं गांव के विकास और आर्थिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

दंतेश्वरी, सरस्वती, एवं जय माँ जगदम्बे स्व सहायता समूहों की महिलाएं वनोपज, सब्जी-भाजी और सेंटरिंग प्लेट व्यवसाय से जुड़कर बनी आत्मनिर्भर :

इस क्रम में ग्राम गुमड़ा की दंतेश्वरी, स्व सहायता समूह की दीदी बसंती सेठिया बताती है कि वह वनोपज, सब्जी-भाजी और सेंटरिंग प्लेट व्यवसाय से जुड़ी हैं। उन्होंने अपने स्व सहायता समूह की बहनों के साथ मिलकर बैंक और संकुल से ऋण लिया और सेंटरिंग प्लेट लेने का निर्णय किया। अब वे प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) सहित आस-पास के निर्माण कार्यों में सेंटरिंग प्लेट उपलब्ध करा रही हैं। इस प्रकार वह सालाना एक लाख रुपये से अधिक की आय अर्जित कर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं और चाहती हैं कि गांव की अन्य महिलाएं भी इस व्यवसाय से जुड़कर अपनी आजीविका सुधारें।

इसके साथ ही सरस्वती स्व सहायता समूह, कटुलनार एवं जय माँ जगदम्बे स्व सहायता समूह, कोरलापाल ने भी बिहान योजना और बैंक लिंकेज के सहयोग से सेंटरिंग प्लेट का व्यवसाय शुरू किया। समूह की दीदियां सेंटरिंग प्लेट को निर्माण कार्यों में किराए पर देकर अपनी आय बढ़ा रही हैं। साथ ही वे वनोपज संग्रहण, धान व सब्जियों की बिक्री जैसी विविध गतिविधियों से भी जुड़ी हुई हैं। इस पहल से गांव की महिलाओं को नियमित आय का स्रोत मिला है और वे आत्मविश्वास से आगे बढ़ रही हैं।

सामूहिक प्रयास से मिली नई पहचान :

इस क्रम में गुमडा, कटुलनार और कोरलापाल की ये कहानियां दिखाती हैं कि बिहान योजना के सहयोग से महिलाएं न सिर्फ पारंपरिक कार्यों तक सीमित हैं, बल्कि निर्माण कार्यों जैसे नए क्षेत्रों में भी कदम बढ़ा रही हैं। सेंटरिंग प्लेट और ईंट व्यवसाय के माध्यम से उन्होंने यह साबित किया है कि अगर अवसर और सहयोग मिले तो महिलाएं किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकती हैं। इन तीनों स्व सहायता समूहों की सफलता अन्य गांवों की महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है और यह संदेश देती है कि आत्मनिर्भरता की राह सामूहिक सहयोग, सही मार्गदर्शन और कठिन परिश्रम से ही संभव है।

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