रायपुर । हम सभी अपना भविष्य खुद बनाते हैं। जीवन में आत्म विश्वास, आत्म सम्मान और दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। अपने उपर पूरा विश्वास हो कि मैं यह कर सकता हूँ। मन में कार्य को करने की रूचि और लगन भी होना जरूरी है।
यह विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी वीणा दीदी ने नवा रायपुर के भारतीय प्रबन्ध संस्थान (आई.आई.एम.) में दन्तेवाड़ा क्षेत्र से आए इन्टरपिन्योरशिप के विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आजकल प्रतिस्पर्धा का समय है इसलिए बच्चे थोड़ी सी असफलता मिलने पर मायूस होकर अपनी जान देने में नहीं हिचकते हैं। उन्हें अपने माता-पिता और परिवारजनों का जरा भी ख्याल नहीं आता है। क्या हमारी जान इतनी सस्ती हो गई है?
उन्होंने बतलाया कि लोगों के मन शान्ति नहीं होने से वह शान्ति को बाहरी वस्तुओं में ढूंढ रहे हैं। इसका प्रमुख कारण है कि उनका ध्यान केन्द्रित नहीं होने से भटक रहा है। पहले शिक्षा के क्षेत्र में इतने साधन और सुविधाएं नहीं थीं। आज हमें सुविधाएं बहुत अधिक मिली हुई हैं लेकिन मन को भटकाने वाली चीजें कम्प्यूटर, मोबाईल और टेलीविजन भी ज्यादा हो गई हैं। हमारी संस्कृति कहती है कि मनुष्य के बन्धन और मोक्ष का कारण हमारा मन है। अगर अवस्था ठीक है तो व्यवस्था ठीक है।
उन्होंने छात्रों से कहा कि रात्रि में देर तक जागना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। रात को जल्दी सोएं और सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई आदि करें। सुबह की शुरूआत मेडिटेशन से करें। इससे आत्म विश्वास बढ़ेगा, याददाश्त बढ़ेगी और गुस्सा कम होगा। उन्होंने बतलाया कि बीस मिनट के मेडिटेशन से चार घण्टे की नींद के बराबर आराम मिलता है। जीवन जैसा है उसमें खुश रहना सीखो। कुछ लोग जो चीज उनके पास नहीं है उसे पाने की उघेड़बुन में सारा समय लगे रहते हैं। इसी चक्कर में जो चीज उनके पास है उसके सुख से वंचित रह जाते हैं।