अगले शिक्षा सत्र से अंग्रेजी पढ़ने लिखने वाले शिक्षकों की झिझक दूर करने राजधानी रायपुर स्थित राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण संस्थान (एनसीईआरटी) में स्पोकन इंग्लिश का चार दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। आदिवासी बाहुल गांव के बच्चों को स्थानीय बोली में प्रारंभिक पढ़ाई करायी जाायेगी। ऐसे सरकारी प्राथमिक स्कूलों में माह अप्रैल से वाचन प्रतियाोगिता भी होगी। उक्त बातें आज प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डॉ.आलोक शुक्ला ने कलेक्टोरेट के सभाकक्ष में नारायणपुर के स्कूल शिक्षा की समीक्षा के दौरान कही। डॉ शुक्ला ने कहा कि अधिकांश शिक्षक अंग्रेजी लिखना पढ़ना जानते है, लेकिन बोलने में झिझकते है। ऐसे शिक्षकों की झिझक दूर करने का यह एक प्रयास है। ऐसे शिक्षक जो स्वैच्छिक रूप से प्रशिक्षण के लिए नाम देंगे, उन्हें ही प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान कैम्पस में अन्य भाषा में बातचीत नहीं की जाएगी। उन्होनंे बारी-बारी से उपस्थित अधिकारियों, प्राचार्यो और शिक्षकों से स्कूलों में आ रही दिक्कतों और उनकी समस्याओं के बारें में पूछा । 
    प्रमुख सचिव डां. आलोक शुक्ला ने कहा कि आदिवासी बाहुल अधिकांश गावों के बच्चे हिन्दी नहीं जानते हैं। मुख्यमंत्री की मंशानुरूप अब उन्हें उनकी स्थानीय बोली गोंडी, हल्बी, माड़िया आदि में प्रारंभिक शिक्षा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पाठयक्रम से परिचित होने के बाद हिन्दी माध्यम से पढ़ाई कराई जाएगी। ताकि वे आगे की पढ़ाई हिन्दी में कर सकें। इसके लिए उन्होंने पिछले वर्ष की कक्षा 1 से कक्षा 5 तक की पुस्तक का अनुवाद नीचे स्थानीय भाषा हल्बी, गोड़ी या माड़िया या जो बोली, बोली जाती है। उसका स्पष्ट शब्दों में अनुवाद कर 15 फरवरी तक भेंजे दें। ताकि समय पर उसका प्रकाशन हो सकें । उन्होंने कहा कि ऐसे स्कूलों का चिन्हांकन भी कर लें जहां जो बोली बोली जाती है। स्कूलों में संविधान के बारे में भी चर्चा की जाए । देश-प्रदेश के साथ ही जिले के महान विभूतियों के बारें में भी बच्चों को जानकारी दी जाए । 
    प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डॉ शुक्ला ने कहा कि बच्चों का भाषा ज्ञान परखने के लिए प्रदेश के सरकारी प्राथमिक स्कूलों में आगामी माह अप्रैल से वाचन कार्यक्रम चलाया जाएगा । इसमें विद्यार्थियों में पढ़ने की रूचि बढ़े, ताकि सभी बच्चे हिन्दी भाषा की पुस्तके आसानी से पढ़ सकें और अपने आसपास लिखी बातों और सूचना को पढ़ कर समझ सकें। उन्होंने कहा कि संकुल स्तरीय प्रतियोगिता कराकर बच्चों का मूल्यांकन उनकी माताएं या अविभावक करेंगे। डॉ. शुक्ला ने कहा कि संकुल स्तर से विकासखण्ड स्तर से जिला स्तर पर चयनित स्कूलों के विद्यार्थियों को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से मुलाकात करायी जाएगी। प्रमुख सचिव ने जिले के स्कूलों के नवाचारों की भी जानकारी ली । 
    कलेक्टर श्री पी.एस. एल्मा ने स्कूलों में और शिक्षा गुणवत्ता के लिए किए गए कार्यो की जानकारी देते हुए बताया कि जहां शिक्षकों की कमी है। वहां स्थानीय 12 उत्तीर्ण युवकों को अतिथि शिक्षक बनाकर शिक्षण कार्य लिया जा रहा है। धुर नक्सल प्रभावित और दुर्गम इलाकें के स्कूलों में अब फिर किलकारी की आवाजें आने लगी है, यह इस क्षेत्र के लिए अच्छी बात है। पुराने और नक्सलियों द्वारा ध्वस्त किये़ गए स्कूलों को जनभागीदारी और ग्रामीणों के सहयोग नये साज-सज्जा के साथ संवारा गया जा रहा है। मध्यान भोजन की गुणवत्ता में पहले से अधिक सुधार हुआ है। जिला खनिज न्यास निधि से स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं के लिए राशि मंजूर की जा रही है। स्कूलों में शेड, स्कूलों में अध्यापन कार्य के लिए आने वाले शिक्षित बेरोजगारों को मानदेय दिया जा रहा है। इस अवसर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री प्रेम कुमार पटेल, एसडीएम श्री दिनेश नाग, जिला शिक्षा अधिकारी श्री गिरधर मरकाम, जिला समन्वयक राजीव गाधंी शिक्षा मिशन श्री भवानी शंकर रेड्डी के अलावा संकुल समन्वयक, प्राचार्य उपस्थित थे। 

By kgnews

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *