रायपुर से आरंग-सरायपाली होकर ओडिसा जाने वाले नेशनल हाईवे के किनारे बसा एक छोटा सा गांव बैहार स्वसहायता समूह की महिलाओं द्वारा किए जाने वाले विभिन्न कार्याें और गतिविधियो के लिए पहचाना जाने लगा है। लोग इस गौठान में रूककर महिला स्व सहायता समूह की गतिविधियों को देखते है और उनके उत्पाद को खुशी-खुशी खरीदतें है।
आरंग विकासखण्ड के इस गॉव का चयन राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना ‘नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी‘ के तहत मॉडल गौठान बनाने के लिए किया गया । देखते ही देखते केवल एक साल के भीतर ही गॉव की महिलाआंे ने अपने स्वसहायता समूहों के माध्यम से न केवल अपने भीतर छिपे कर्मठता, उद्यमिता और कुछ कर गुजरने की चाह को अभिव्यक्त किया है बल्कि रोजगार सृजन के माध्यम से अर्थ उपार्जन के नये आयाम की संभावनाओं को भी दिखाया।
ग्राम पंचायत बैहार में 3 एकड़ जमीन में गौठान इससे लगे 10 एकड़ में चारागाह और 5 एकड़ जमीन में बाड़ी का निर्माण किया गया । गौठान बनने से गॉव में आवारा होकर धुमने वाले तथा कई बार फसलों को खराब करने और दुर्धटना का कारण बनने वाले 350 मवेशियों को दिन में चरने और रूकने का एक उपयुक्त आश्रय स्थल मिला। पशुओं के संरक्षण एवं संवर्धन का साधन भी मिला, उनके टीकाकरण, रोगों की पहचान एवं रोकथाम के साथ सुपोषण, शुद्ध जल एवं विश्राम स्थल की व्यवस्था की गई है।
गौठान के प्रबंधन एवं संचालन की जिम्मेदारी गॉव के ही महिला स्व-सहायता समूहों को दी गई है। यही नहीं गौठान के अन्दर इन महिलाओं को रूरल इण्डस्ट्रीयल पार्क की तरह विभिन्न कार्य करने का प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और अवसर भी मिला। इस कारण गॉव की महिलायें यहॉ न केवल गोबर एवं गौ मूत्र आधारित विभिन्न उत्पाद जैसे गोबर का दिया, गोबर का गमला, जैविक खाद, जैविक दवाईयॉं, वर्मी कम्पोस्ट, गोबर गैस आदि का निर्माण कर रही है, बल्कि यहॉ शेड के नीचे वे अगरबत्ती और एलोविरायुक्त साबुन भी बना रही है।
गौठान से जुडे बाड़ी में इन महिलाओं ने सब्जी उत्पादन कर रू. 75 हजार की सब्जी , 5 हजार से अधिक संख्या में गोबर से गमले, 6 क्विंटल की अगरबत्ती और 35 हजार रूपये के साबुन का विक्रय किया है। इसी तरह विक्रय किया है। उन्होंने 14 क्विंटल गोबर खाद का निर्माण कर उनका विक्रय भी किया है।
रायपुर जिले में प्रथम चरण में 97 ग्राम पंचायतों में गौठान निर्माण किया गया। ये गौठान अब गांव और महिलाओं के लिए तकनीकी हस्तांतरण केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे है। इस गौठान में अमर ज्योति स्वसहायता समूह, आरती स्वसहायता समूह, एकता स्वसहायता समूह, मॉं अम्बे स्वसहायता समूह, जय मॉं शारदा, कुमकुम स्वसहायता समूह की महिलाओ ने अब आत्मनिर्भता की दिशा में कदम बढाया है और अपने घर-परिवार के लिए संबल बन रही है।