राजनांदगांव। जन स्वास्थ्य के प्रति सरकारी अस्पताल कितने संजीदा हैए इसका प्रमाण आज भी देखने को मिला। कोरोना महामारी के दौरान भी संक्रमण से बचने के पूरे उपायों के साथ उप स्वास्थ केंद्र दुधली में धात्री महिलाओं को स्तनपान के विषय में व्यापक जानकारी दी गई। साथ ही उन्हे उचित पोषण आहार व स्वच्छता के प्रति जागरुक किया गया।
इस दौरान अस्पताल के सीएचओ भूमिका साहू ने शिशुवती माताओं को बताया कि शिशु को स्तनपान कराना बहुत ही जरूरी है, क्योंकि यह जच्चा व बच्चा दोनों के लिए काफी फायदेमंद है, पुरूष आरएचओ गोपाल कृष्ण ने बताया कि शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है। इसीलिए कम से कम छह महीने तक शिशु को केवल स्तनपान ही कराएं अन्य कुछ भी न दें एवं शिशु को 6 महीने की आयु के बाद स्तनपान कराने के साथ-साथ ऊपरी पौष्टिक पूरक आहार भी देना चाहिए। महिला आरएचओ मधुमति साहू ने बताया कि धात्री मां में दूध बनना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जब तक बच्चा दूध पीता है तब तक मां के पास दूध बनता रहता है एवं बच्चे के दूध पीना छोड़ने के बाद कुछ समय बाद अपने आप ही दूध बनना बंद हो जाता है। उन्होंने बताया कि दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम पौष्टिक आहार होता है। मां के दूध से बच्चे को रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
राजनंदगाँव के एनएफएचएस-4 (2015-16) के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यह पता चलता है कि लगभग 67 प्रतिशत शिशुओं को ही जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराया गया है। वहीं 6 माह तक केवल स्तनपान की बात करें तो यह आंकड़ा लगभग 85 प्रतिशत है। एनएफएचएस-4 के आंकड़े कहते हैं कि जिले में जागरुकता, कुपोषण, भ्रांतियों एवं अन्य कारणों से 15 प्रतिशत शिशुओं को 6 माह की उम्र तक केवल स्तनपान नहीं कराया जा रहा है। इन कमियों को दूर करने के लिए हर वर्ष स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है और इस दौरान महिलाओं को स्तनपान कराने हेतु जागरुक किया जाता है।
गौरतलब है कि, स्तनपान के प्रति समाज में जागरूकता लाने तथा इस विषय में विभिन्न भ्रांतियों को दूर करने के लिए हर साल 1 से 7 अगस्त तक स्तनपान सप्ताह आयोजित किए जाता है। इसी के अंतर्गत दुधली के उप स्वास्थ्य केंद्र के अलावा कलकसा, रेंगनी, रेंघई व कोरगुड़ा गांव में भी अस्थाई ब्रेस्ट फीडिंग कार्नर बनाए गए हैं। सीएचओ भूमिका साहू ने बताया कि इन सभी ब्रेस्ट फ्रीडिंग कॉर्नर्स में शिशुवती माताओं को स्तनपान के संबंध में जानकारी दी गई। उपस्वास्थ्य केंद्र दुधली में 13 महिलाओं को स्तनपान के विषय में जागरूक किया गया। इसके अलावा मितानिन भी घर-घर जाकर शिशुवती व गर्भवती माताओं को स्तनपान कराने का तरीका सिखा रही हैं। उन्होंने बताया कि स्तनपान शिशु के लिए ईश्वर का वरदान है, खासकर वर्तमान के कोरोना वायरस महामारी के दौर में माताएं अपने शिशु को स्तनपान जरूर कराएं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी बताते हैं शिशुवती माता को दूध, दलिया, पोषणयुक्त भोजन के साथ-साथ खूब पानी पीना चाहिए। प्रसव के तुरंत बाद एक घंटे के भीतर शिशु को मां के स्तनपान से मिलने वाला गाढा दूध काफी महत्वपूर्ण होता है।