दिग्विजय महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित
राजनांदगांव/ शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में “कोविड -19 : मानव सुरक्षा के लिए एक नवीन चुनौती” विषय पर नेशनल वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी, कुलपति इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ अरुणा पलटा, कुलपति हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग तथा विषय विशेषज्ञों के रूप में प्रो. मधुरेन्द्र कुमार, कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल,प्रो. निसार उल-हक,जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली,डॉ डी एन सूर्यवंशी,पूर्व प्राचार्य एस आर सी एस महाविद्यालय दुर्ग एवं प्रो. अनुपमा सक्सेना, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर उपस्थित रहे।
आयोजन के आरंभ में संगोष्ठी की संयोजिका एवं विभागाध्यक्ष डॉ. अंजना ठाकुर ने वेबिनार के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ बी एन मेश्राम ने स्वागत उद्बोधन दिया। मुख्य अतिथि प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने कहा कि संशय और संकट से जूझ रही यह दुनिया आज शिथिल सी हो गई है। आज तक के ज्ञात मानव इतिहास में पहली बार सभी देश बिना किसी भेदभाव के एक साथ इस संकट की घड़ी में खड़े है। इस महामारी के दौरान निसंदेह ही मानव की सुरक्षा एवं अस्तित्व दोनों ही खतरे में है जिससे उबरने के लिए वैश्विक सहयोग की अपेक्षा है। विशिष्ट अतिथि डॉ अरुण पलटा ने कहा कि इस महामारी में मनुष्य की सुरक्षा एक गंभीर चुनौती है और आने वाले समय में स्वास्थ्य सुविधाओं पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रो मधुरेन्द्र कुमार ने विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानव के विकास के लिए उसकी सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। यह एक नवीन अवधारणा अवश्य है लेकिन इसके अवशेष प्राचीन भारतीय संस्कृति में परिलक्षित होते है। उन्होंने बताया कि मानव को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी केवल सरकार की ही नही है बल्कि नागरिक समाज को भी इसमें अपनी भूमिका और दायित्व निभाना होगा। प्रो निसार उल-हक़ ने कहा कि विश्व में पुनः शांति की स्थापना करनी होगी तभी मानव सुरक्षा संभव है। उन्होंने महामारी के इस दौर को जैविक युद्ध की संज्ञा दी। डॉ डी एन सूर्यवंशी ने कहा कि चूंकि यह एक वैश्विक समस्या है इसलिए इसके समाधान भी वैश्विक होने चाहिए। राज्य केवल इस पर नियंत्रण रख सकते है वे अकेले समाधान करने में सक्षम नहीं है। अंतिम वक्ता के रूप में प्रो अनुपम सक्सेना ने रियल टाइम डेटा देते हुए यह बताया कि देश मे मेडिकल रिसर्च पर बहुत कम खर्च किया जा रहा है जिससे मानव सुरक्षा बाधित हो रही है। निःसंदेह मेडिकल रिसर्च पर और अधिक व्यय करने की आवश्यकता है ।
संगोष्ठी के समापन अवसर पर आयोजन की सह संयोजिका एवं विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ अमिता बख्शी ने सभी का आभार ज्ञापित किया। सम्पूर्ण संगोष्ठी का संचालन आयोजन सचिव एवं विभाग के सहायक प्राध्यापक संजय सप्तर्षि ने किया।