बालोद । वरिष्ठ जनप्रतिनिधि पवन साहू ने कहा कि जनजातीय समाज का अतीत अत्यंत उज्ज्वल एवं गौरवशाली है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र व समाज के नवनिर्माण में जनजातीय समाज के लोगों की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। साहू आज शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था बालोद में आयोजित जनजातीय गौरव स्मृति कार्यक्रम के अवसर पर अपना उद्गार व्यक्त कर रहे थे, वे कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था बालोद के प्राचार्य शैलेष कुमार थाॅमस ने किया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अखिल भारतीय हल्बा-हल्बी समाज के केंद्रीय अध्यक्ष देवेन्द्र माहला सहित विशेष अतिथि के रूप में गोंडवाना समाज के अधिकारी-कर्मचारी प्रकोष्ठ के संभागीय अध्यक्ष चंद्रेश ठाकुर, जिला पंचायत सदस्य कीर्तिका साहू, सरपंच संघ के ब्लाॅक अध्यक्ष अरूण साहू के अलावा कार्यक्रम के जिला संयोजक कृष्णा साहू, संयोजक पूर्णिमा ठाकुर, सह संयोजक कुमेश ठाकुर उपस्थित थे।

इस अवसर पर अतिथि एवं वक्ताओं ने जनजातीय समाज के विभूतियों सहित संपूर्ण जनजातीय समाज के लोगों का देश व समाज के नवनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। समारोह में वक्ताओं ने बिरसा मुण्डा, वीरांगना दुर्गावती, शहीद वीर नारायण सिंह एवं शहीद गैंद सिंह आदि आदिवासी समाज के महापुरूषों  एवं अमर शहीदों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके वीरता एवं योगदान को अनुपम एवं अद्वितीय बताया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जनजातीय समाज के सीधे, सरल, शांत एवं मेहनकश समाज बताते हुए कहा कि जब भी देश व समाज के सामने चुनौतियां आई है, जनजातीय समाज के लोगों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर उसका डटकर मुकाबला किया है। उन्होंने कहा कि हमारा मौजूदा केन्द्र एवं राज्य सरकार आदिवासी समाज के सर्वांगीण विकास तथा उनके पुराने गौरव एवं विरासत को अक्ष्क्षुण बनाए रखने हेतु कृतसंकल्पित है।

साहू ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार के द्वारा संचालित अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं के फलस्वरूप जनजातीय समाज के लोगों के स्थिति में निरंतर सुधार एवं अमूलचूल परिवर्तन हो रहा है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता डाॅ. देवेन्द्र माहला ने आदिवासी समाज के अमर शहीदों एवं विभूतियों के स्वतंत्रता आंदोलन तथा राष्ट्र व समाज के नवनिर्माण में उनकी भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने नई पीढ़ी को इन अमर शहीदों एवं विभूतियों के आदर्शों से पे्ररणा लेने को कहा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विशेष अतिथि चंद्रेश ठाकुर ने कहा कि जब हम आदिवासी समाज का राष्ट्र एवं समाज के प्रति योगदान एवं उनके गौरवशाली विरासत की बात करते है, तो हमें एक उज्ज्वल साधना याद  आती है।

जब क्रियाशील एवं कालजयी जनजातीय आंदोलनों ने चाहे वह साम्राज्यशाही तोपों के प्रतिपक्ष में हो या फिर अंग्रेजों के जुल्मों-सितम की प्रतिकार की बात हो दुनिया के इतिहास के सामने अनुपम एवं अद्वितीय उदाहरण पेश किया था। उन्होंने आदिवासी समाज के गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने अपने पुस्तक ’डिस्कवरी आॅफ इंडिया’ में लिखा है। आदिवासियों की संस्कृति विश्व की समस्त संस्कृतियों की जननी है। उन्होंने कहा कि प्रख्यात भाषाविद डाॅ. गियर्सन ने कहा है आदिवासी समाज के प्रमुख भाषा गोंडी संस्कृत के अलावा दक्षिण भारत के तीन प्रमुख भाषा तमिल, तेलुगु एवं कन्नड़ की भी जननी है।

By kgnews

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