भोपाल
नए वित्तीय वर्ष 2023-24 की नवीन आबकारी नीति का कच्चा मसौदा तैयार करने के लिए विभागीय स्तर पर तेजी से काम हो रहा है। इस बार शराब से 15 प्रतिशत ज्यादा राजस्व जुटाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत आबकारी नीति के प्रावधानों में जरूरी बदलाव करने के लिए आबकारी विभाग के अफसरों के बीच गहन विचार मंथन हुआ है। जानकारी के मुताबिक नई आबकारी नीति का खाका तैयार करने से पहले आबकारी आयुक्त ओपी श्रीवास्तव ने जिलों के अबकारी अधिकारी और लायसेंसी ठेकदारों की बारी-बारी से बैठलें लीं। इस दौरान उनसे नई नीति से संबंध में सुझाव भी लिए। सूत्रों केअनुसार जिलों के आबकारी अधिकारी और मौजूदा ठेकेदार दोनों ही नए साल के लिए शराब दुकानों का रिन्यूवल के पक्ष में हैं। इसके पीछे का कारण यह है कि लिकर सिंडीकेट की मॉनोपॉली तोड़ने के लिए ही प्रदेश सरकार ने पिछले साल एक्साइज पॉलिसी में बड़े बदलाव किए। इसी के तहत कंपोलिट शराब दुकानों की नई व्यवस्था शुरू की गई और दुकानों के छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर दुकानों की नीलामी की गई थी। इससे राजस्व तो बढ़कर मिला ही था,वहीं लिकर सिंडीकेट का तिलस्म भी ढह गया। यही बजह है कि ठेकों का जो मौजूदा सिस्टम बना हुआ है,उसमें ज्यारा उलटफेर करने के बजाय मध्यप्रदेश सरकारी रिन्यूवल प्रक्रिया के तहत ही शराब से राजस्व बढ़ाने पर जोर दे सकती है।
इस साल इतना राजस्व मिलेगा
प्रदेश में देशी और विदेशी शराब की करीब 3605 दुकानें हैं। इन दुकानों पर शराब बिक्री से सरकार को मोटी कमाई होती है। मौजूदा वित्तीय वर्ष 2022-23 में छोटे ग्रुप बनाकर शराब दुकानों की नीलामी करने का फायदा मिला। इससे इस साल 31 मार्च तक शराब बिक्री से सरकार की 13255 करोड़ रुपए आय होगी। नए वित्तीय वर्ष में इसमें पद्रह फीसदी तक इजाफा होने की उम्मीद है।