बच्चे का सबसे ज्यादा ध्यान मां रखती है और मां के बिना बच्चे का पोषण बिखर जाता है। दुर्ग जिले के भिलाई-3 के बच्चे पूर्वांश के साथ भी इस अनहोनी की आशंका थी कि वो मां के बगैर कुपोषण का शिकार हो जाए। जन्म लेते ही इस बच्चे के ऊपर से माँ का साया उठ गया। जन्म के समय बच्चे का वजन मात्र डेढ़ किलो था जो गंभीर रूप से कुपोषण की श्रेणी में आता है। माँ का लालन पालन बड़ी माँ के द्वारा किया जा रहा था लेकिन माँ का दूध नहीं मिल पाने एवं पोषण संबंधी उपयुक्त जानकारी नहीं हो पाने की वजह से बड़ी मां अपनी पूरी जतन के बावजूद बच्चे के पोषण को ठीक करने की दिशा में कामयाब नहीं हो पा रही थी। बच्चे का जन्म पिछले साल एक मार्च को हुआ था। सुपोषण अभियान आरंभ होने के पश्चात भिलाई परिक्षेत्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सीमा जंघेल को इस बच्चे की जानकारी मिली। उन्होंने घर जाकर मुलाकात की और लगातार संपर्क में रहीं और पोषण का ख्याल रखने लगी एवं बच्चे की बड़ी माँ को भी मार्गदर्शन दिया।

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत लाभान्वित होने से बच्चा मध्यम कुपोषण के दायरे से बाहर आने लगा एवं उसका वजन लगातार बढ़ने लगा। इस बच्चे को अभियान के तहत चिकी, पौष्टिक आहार आदि दिया जाने लगा, साथ ही इस बच्चे को हमारी रेडी टू ईट फूड प्रदाय करने वाली महिला स्व-सहायता समूहों के व्दारा गोद लिया गया तथा इसे लगातार दलिया, अण्डा, फल, राजगीर का लड्डू, अंकुरित अनाज आदि दिया गया साथ ही साथ सेक्टर भिलाई-3 में 02 बाल संदर्भ शिविर का आयोजन किया गया जिसमें इस बच्चे का डाक्टर के व्दारा स्वास्थ्य जांच कर दवाईयां उपलब्ध करायी गयी।

इस प्रकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व रेडी टू ईट फूड प्रदाय करने वाली महिला स्व सहायता समूहों के अथक प्रयास व शिविर के लाभ से जिस बच्चे का वजन माह सितम्बर 2019 में 5.540 किलो ग्राम था तथा जो मध्यम कुपोषित में आता था, माह दिसम्बर 2019 की स्थिति में उस बच्चे का वजन 7.150 किलो ग्राम है तथा बच्चे अब कुपोषित न रहकर सामान्य की स्थिति में आ गया है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के लगातार गृह भ्रमण से एक गंभीर कुपोषित बच्चे को सामान्य स्थिति में लाने में सफलता मिली है।

By kgnews

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